Saiyaara Movie Review in Hindi: क्लिशे प्लॉट पर इमोशनल ट्रीटमेंट और सोलफुल म्यूजिक

परिचय (Introduction)

निर्देशक मोहित सूरी, जो ‘आशिकी 2’ और ‘एक विलेन’ जैसी भावुक और संगीतमय प्रेम कहानियों के लिए जाने जाते हैं, एक बार फिर ‘साईंयारा’ के साथ अपना चिरपरिचित जादू पर्दे पर लेकर आए हैं। यह फिल्म दो नए चेहरों, अहान पांडे और अनीता पद्दा को प्रमुख भूमिकाओं में पेश करती है, और एक पुरानी, आजमाई हुई प्रेम कहानी को आज के सोशल मीडिया और डिजिटल युग के रंग में रंगती है। क्या यह फिल्म मोहित सूरी की पिछली सफलताओं को दोहरा पाती है? आइए जानते हैं।


कहानी और प्लॉट (Story and Plot)

‘साईंयारा’ की कहानी मुख्य रूप से कृष कपूर (अहान पांडे), एक गुस्सैल, संघर्षरत संगीतकार, और वाणी (अनीता पद्दा), एक शर्मीली, महत्वाकांक्षी पत्रकार की है, जो अपनी शादी टूटने के सदमे से उबर रही है। कृष को वाणी की डायरी मिलती है, जिसमें दिल को छू लेने वाले बोल लिखे हैं, जिन्हें वह धुनों में बदलकर हिट बनाता है। उनकी यह पेशेवर साझेदारी जल्द ही एक गहरे प्रेम में बदल जाती है। हालांकि, किस्मत अपना खेल खेलती है और एक ऐसी त्रासदी उन्हें अलग कर देती है जो उनके प्यार की असल परीक्षा लेती है।

फिल्म की कहानी का मूल भाव परिचित है—टूटे हुए दिल, संगीत के माध्यम से जुड़ाव, और अलगाव। आलोचकों के अनुसार, कहानी में नवीनता की कमी महसूस होती है, लेकिन यह भावनात्मक रूप से दर्शकों को बांधे रखती है।


प्रदर्शन और निर्देशन (Performance and Direction)

फिल्म की सबसे बड़ी ताकत इसके डेब्यूटेंट कलाकार हैं।

  • अहान पांडे ने कृष के रूप में एक प्रभावशाली शुरुआत की है। उन्होंने एक स्टार के घमंड और बाद में भावनात्मक रूप से टूटे हुए प्रेमी की भेद्यता (vulnerability) को बखूबी दर्शाया है। एक इंटेंस रोल को आत्मविश्वास से निभाना उनके एक्टिंग टैलेंट को दर्शाता है।
  • अनीता पद्दा ने वाणी के जटिल किरदार को निभाया है, और वह स्क्रीन पर आकर्षक और अभिव्यंजक (expressive) लगती हैं।
  • अहान और अनीता के बीच की केमिस्ट्री फिल्म को मजबूती देती है और कई कमजोर हिस्सों को भी संभाल लेती है।

मोहित सूरी का निर्देशन अपनी पकड़ बनाए रखता है। वह कहानी के भावनात्मक केंद्र (emotional core) को सही तरह से पकड़ते हैं। फिल्म का पहला हाफ तेज़ और आशाजनक है, जिसमें नए-युग के रोमांस को दर्शाया गया है। हालांकि, दूसरे हाफ में पिटाव और असंतुलित गति (uneven pacing) महसूस होती है, जहाँ कहानी कुछ महत्वपूर्ण मोड़ों पर तेज़ी से भागती है, जिससे कथानक (narrative) थोड़ा कमजोर हो जाता है।


संगीत (Music)

मोहित सूरी की फिल्मों की पहचान उनका सोलफुल संगीत होता है, और ‘साईंयारा’ इस परंपरा को कायम रखती है। फिल्म के गाने मधुर और कर्णप्रिय हैं, जो कहानी के मूड को स्थापित करने और भावनाओं को गहरा करने में मदद करते हैं। कई समीक्षकों ने संगीत को फिल्म का एक मजबूत प्लस पॉइंट बताया है।


निष्कर्ष (Conclusion)

‘साईंयारा’ एक ऐसी फिल्म है जो पुरानी बोतल में नई शराब पेश करती है। यह एक cliché लव स्टोरी है, लेकिन इसे शानदार संगीत, दो प्रतिभाशाली डेब्यू कलाकारों की सहज केमिस्ट्री, और मोहित सूरी के भावनात्मक स्पर्श से जीवन मिला है।

यह एक परफेक्ट फिल्म नहीं है—इसमें कुछ तार्किक खामियां हैं और पटकथा (screenplay) में नवीनता की कमी है। हालाँकि, यदि आप एक अच्छे बॉलीवुड म्यूजिकल रोमांस और नए कलाकारों के प्रदर्शन का आनंद लेना चाहते हैं, तो ‘साईंयारा’ एक वन-टाइम वॉच साबित हो सकती है।

रेटिंग: 3/5 ⭐⭐⭐

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